पिछले कुछ कुछ दिनों से अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों मे फिलिस्तीन के समर्थन मे प्रदर्शन हो रहे हैं । इस प्रदर्शन को एक तपका यहूदी विरोधी भी कह रहा है। हालांकि इस प्रदर्शन मे मांग कि जा रही है कि ये विश्वविद्यालय वैसी संस्थानों से अपना करार तोड़ दें जो फिलिस्तीन के खिलाफ युद्ध मे संलिप्त हैं या उनकी कोई भागीदारी है।
अमेरिकी विश्वविद्यालय पुलिस का सहारा ले रहें है और पुलिस बल प्रयोग कर प्रदर्शन को रोकने का प्रयास कर रही है। कई जगहों पर पुलिस ने आँसू गॅस और गंभीर बल प्रयोग किया है । यहाँ तक की कई प्रोफेसर को बल प्रयोग कर जमीन पर पटककर अरैस्ट किया गया है और महिला प्रोफेसर को पुरुष पुलिस द्वारा गिरफ्तारी की गई है।
पहली प्रदर्शन की खबर कोलंबिया विश्वविद्यालय से आई थी और जब पुलिस ने बल प्रयोग कर प्रदर्शन कर रहे छात्रों के टेंट उखारे और कई छात्रों की गिरफ्तारियाँ की तो यह आंदोलन और तेज हो गया और अब यह कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों मे फैल गया है ।
ग़ज़ा में जारी हिंसा हिंसा मे सैंकड़ों लोग जिसमे बच्चे और महिलाएं भी शामिल है, मारे गए हैं और इसमे अनगिनत लोगों को दूसरे जगह विस्थापित होना पड़ा है । इस जारी हिंसा को रोकने के लिए अभी तक कोई ठोस वैश्विक पहल नहीं की गई है और ऐसे मे अमेरिकी छात्रों का यह संघर्ष अमेरिकी नेताओं और दुनिया के नेताओं का ध्यान किस हद तक खींचता है ये देखने वाली बाती होगी।
लेकिन यह दुनिया और समाज के लिए सवाल तो है कि हम अपनी तरक्की का इतना ढ़ोल पीट रहे हैं किन्तु दुनिया के हिस्से मे बर्बर तरीके से निर्दोष बच्चे, बूढ़े और महिलाओं की हत्या पर कुछ नहीं कर पा रहे हैं।